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समझाने पर भी नहीं माना रावण तो हनुमान जी ने लंका दहन किया

करनाल, अभी अभी। श्री हरि कथा प्रचार समिति व श्री श्याम परिवार की ओर से मंगलसेन सभागार अंबेडकर चौक में श्री राम कथा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। सातवें दिन श्री रामायण की पूजा करने और व्यास पीठ को नमन करने के बाद विजय कौशल जी महाराज ने लंका दहन प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जब हनुमान जी अशोक वाटिका में दुखी मन से बैठीं माता सीता से मिले, माता के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया और उन्हें मुद्रिका सौंप कर जब कहा कि मैं करुणानिधान का सेवक हूं तब माता सीता का मार्मिक भाव दृश्य हर श्रद्धालु के नेत्रों में उतर आया और नेत्र सजल हो गए। हनुमान जी माता जी की आज्ञा प्राप्त कर फल खाने बाग में चले गए और वहां उनका सामना राक्षाओं से हुआ। हनुमान जी ने एक-एक राक्षस का वध किया। हनुमान जी ने रावण को खूब और अनेकों प्रकार से समझाया पर वो नही माना तो हनुमान जी ने श्रीराम जी की कृपा से लंका दहन किया। विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि कलियुग में भगवत प्राप्ति के केवल दो ही साधन हैं। योग, यज्ञ, जप, तप, व्रत व पूजा इसका केवल नाटक जैसा किया जा सकता है होता नहीं है। उन्होंने कहा कि कलियुग में कैसे बेड़ा पार हो इस पर विचार जरूरी है। कानों से भगवान की बातें सुनें और होठों से भगवान की बातें करें। भगवान की कथा कोई मनोरंजन का साधन नहीं है। कथा से मन का मैल दूर होता है। भगवान कहते हैं कि निर्मल मन जन सो मोही पावा अर्थात निर्मल मन वाला व्यक्ति ही भगवान के दर्शन कर सकता है। अध्यक्ष कैलाश चंद गुप्ता ने बताया कि 22 सितंबर को सुबह 10 से 11 बजे तक श्री राम कथा का सार बताया जाएगा। 11 बजे से एक बजे तक श्री राम एवं श्री कृष्ण लीलाओं का संगीतमय चित्रण किया जाएगा।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर अध्यक्ष कैलाश चंद गुप्ता, प्रधान शशि भूषण गुप्ता, कार्यकारी अध्यक्ष घनश्याम गोयल व पंकज गोयल, उपप्रधान अमन बंसल, महासचिव सुनील गुप्ता, सचिव पुनीत मित्तल, कोषाध्यक्ष सुभाष गुप्ता, विवेक गुप्ता, डॉ एस.के. गोयल, रामकुमार गुप्ता, प्रवीण बंसल, रमन बंसल, बलबीर, सुरेश, आशीष, सुनील व राजेश आदि मौजूद रहे।

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