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विभाग की जातिवादी दुर्भावना का शिकार हो रहे अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारी : मनोज-संदीप

करनाल, अभी अभी। हरियाणा सरकार के परिवहन विभाग की जातीय दुर्भावना का अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारी और अधिकारी लगातार शिकार हो रहे हैं। हरियाणा रोडवेज स्वतंत्र कर्मचारी यूनियन के राज्य प्रधान मनोज चहल व महासचिव संदीप बौद्ध ने संयुक्त बयान में कहा कि हरियाणा का परिवहन विभाग जातीय दुर्भावना का शिकार हो गया है। कर्मचारियों को बिना किसी ठोस जांच पड़ताल के लगातार निशाना बनाकर सस्पेंड किया जा रहा है। जिसका हरियाणा रोडवेज स्वतंत्र कर्मचारी यूनियन विरोध पुरजोर करती है। कैथल डिपो के पूर्व संस्थान प्रबंधक सुनील कुमार को सस्पेंड करने की कड़े शब्दों में निंदा करती है। राज्य प्रधान मनोज चहल ने जारी अपने बयान में कहा कि सुनील कुमार पूर्व स्टेशन सुपरवाइजर कैथल को बिना किसी पुख्ता सबूत एवं जांच पड़ताल के विभाग द्वारा निलंबन किया जाना अमानवीय और निंदा का विषय है और जिसका संगठन पुरजोर विरोध करता है। एक अधिकारी का अपने अधिकार क्षेत्र में सभी कर्मचारियों से ड्यूटी लेना उसका कार्य है ऐसे में यदि कोई कर्मचारी अपना कार्य सही नहीं करता है और ड्यूटी में लापरवाही करता तो वह कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय कारवाई भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि कैथल डिपो की महिला परिचालक द्वारा झूठे छेडख़ानी के आरोप सुनील कुमार पर लगाए हैं। जबकि यह महिला परिचालक जब से विभाग में भर्ती हुई है तब से इसने अपने मूलपद पर कार्य नहीं किया है। उक्त महिला परिचालक को उसकी ड्यूटी करने के लिए पूर्व संस्थान प्रबंधक द्वारा कहा गया और जिसका विरोध उक्त महिला परिचालक द्वारा किया गया। महिला परिचालक ने एक महिला अधिकारों का नाजायज फायदा उठाकर झूठे आरोप में सुनील कुमार को फसाया गया। राज्य महासचिव संदीप बौद्ध ने कहा कि पूर्व संस्थान प्रबंधक सुनील कुमार ने जिस भी डिपो में कार्य किया है वहां का कार्य संतोषजजनक रहा है और विभाग को फायदा पहुंचाने का कार्य किया है। सरकार इस प्रकार की अनुसूचित जाति कर्मचारी के खिलाफ हो रही दमनकारी कार्रवाई को तुरंत वापस ले और महिला परिचालक द्वारा लगाए गए छेडख़ानी के झूठे आरोपों की जांच करके महिला परिचालक के खिलाफ सख्त कानूनी और विभागीय कारवाई करने का काम करें। यदि सरकार के द्वारा उक्त महिला परिचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है और सुनील कुमार पूर्व संस्थान प्रबंधक के निलंबन आदेशों को वापिस नहीं लिया जाता है तो संगठन प्रदेश स्तर पर आंदोलन करेगा जिसकी जिम्मेदारी विभाग और सरकार की होगी।

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