नारद मोह मंचन के साथ करनाल में रामलीला शुरू
करनाल, अभी अभी। श्री रामायण पाठक सभा की ओर से रामलीला भवन में श्री रामलीला का मंचन किया जा रहा है। भव्य आयोजन की शुरूआत गुरुवार रात को हुई। प्रधान रमेश गुप्ता ने बताया कि परम पूज्य स्वामी श्री राम दास जी महाराज (श्रीराम कुटिया) जी की उपस्थिति में सुबह भूमि पूजन किया गया। महासचिव प्रभात गुप्ता ने बताया कि मुख्य सेवक एवं समाज सेवी पदम सेन गुप्ता, अग्रवाल धर्मशाला के प्रधान लवलेश गुप्ता, नरेन्द्र बिन्दल, अनूप गुप्ता, महा प्रबंधक रविंद्र बंसल, अनिल शर्मा, अनिल गुप्ता, विनोद गर्ग व योगेश गोयल आदि मौजूद रहे। सभा के चेयरमैन नरेश गुप्ता ने बताया कि प्रथम दिन नारद मोह का मंचन किया गया। नारदजी का पात्र सभा के मुख्य निर्देशक रामकिशन गुप्ता ने निभाया। वह 51 वर्षों से श्री रामलीला में किरदार निभा रहे हैं। प्रवीण दाबड़ा ने भगवान विष्णु, अभिषेक शर्मा ने कामदेव, शिवम शर्मा ने भगवान शिवजी व देव गुप्ता ने माता पार्वती का किरदार निभाया। मुख्य सेवक के रूप में गगन जिंदल, श्रीरामलीला भवन के प्रधान कपिल गुप्ता, अजय जैन व अनुज जयसवाल मौजूद रहे। मंच संचालन योगेश गोयल ने किया। साथ में कोषाध्यक्ष मनोज गोयल, विनोद गुप्ता, पंकज गोयल, चंदन गर्ग व पंकज अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
नारद मोह का मंचन
मंचन के दौरान दर्शाया कि नारद भगवान हरि नाम का गुणगान करते हुए हिमालय की गुफा में चले जाते हैं। गुफा में जाकर नारद ध्यान में बैठ जाते हैं। जहां उनकी समाधि लग जाती है। समाधि लगने से इंद्र का सिंहासन हिल जाता है। नारद की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र कामदेव को भेजते हैं, लेकिन कामदेव नारद की तपस्या को भंग करने में विफल हो जाते हैं। इसके बाद नारद अभिमान में आ जाते हैं। वह अपने अभिमान में आकर अपनी प्रशंसा विष्णु भगवान के सामने करने लगते हैं। नारद का अभिमान तोडऩे के लिए भगवान अपनी माया से एक सुंदर कन्या को प्रकट कर नारद के समक्ष भेजते हैं। जिसको देखकर नारद मोहित हो जाते हैं। उससे विवाह करने के लिए आग्रह करते हैं। विवाह करने से पूर्व नारद भगवान विष्णु भगवान से आग्रह करते हैं कि वह उन्हें एक सुंदर रूप प्रदान करें। भगवान विष्णु नारद को बंदर का रूप दे देते हैं। जब नारदजी को हकीकत पता चलती है तो नारद भगवान को श्राप दे देते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु नारद के भ्रम को तोड़ते हैं। तब नारद भगवान से अपने अपराध के लिए क्षमा मांगते हैं। भगवान विष्णु उन्हें क्षमा कर देते हैं।











































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































