केंद्र का रिपोर्ट कार्ड : नायब ने मारी बाजी
केंद्र ने 5 बिंदुओं पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के एक साल के कार्य का अवलोकन किया।
जनसमर्थन : जमीनी जुड़ाव में सैनी को मिले 86 प्रतिशत अंक
अभी अभी : किसी भी मुख्यमंत्री के प्रदर्शन का पहला पैमाना होता है जनता से उसका संपर्क। इस मोर्चे पर नायब सैनी को केंद्र ने 86 प्रतिशत अंक मिले हैं। रिपोर्ट में यह साफ कहा गया कि सैनी ने पिछले एक साल में जितना समय आम लोगों के बीच बिताया, उतना कई पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपने कार्यकाल में भी नहीं किया।
सीएम आवास पर बिना समय लिए मिलने की उनकी शैली ने लोगों में यह संदेश दिया कि सरकार सुन रही है और हाथ बढ़ा रही है। मंत्री-एमएलए को भी जनता से जुड़े रहने की उनकी सख्त हिदायत ने सरकार की छवि सक्रिय रखने में बड़ा योगदान दिया।
केंद्रीय योजनाओं को लागू करने पर 73 प्रतिशत अंक
केंद्रीय योजनाओं को हरियाणा में तेज़ी से लागू करने को लेकर सैनी सरकार को 73 प्रतिशत अंक मिले। अधिकारियों से लगातार समीक्षा बैठकें लेना और जिलों में औचक निरीक्षण करना इसका बड़ा कारण माना गया।
संकल्प पत्र में तेज़ रफ्तार : संकल्प पत्र के वायदे पूरे करने की गति 92 प्रतिशत
बीजेपी के 217 चुनावी वादों में से 40 पूरे होना और औसतन 92 प्रतिशत का स्कोर बताता है कि सरकार ने शुरुआती वर्ष को वर्किंग ईयर की तरह इस्तेमाल किया है। आमतौर पर सरकारें अपने कार्यकाल के पहले साल को सेट-अप और टीम को समझने में लगा देती हैं, लेकिन सैनी सरकार इस मोर्चे पर भी बाजी मारी।
संगठन-सरकार तालमेल : एकता की मिसाल
नायब सैनी सरकार और संगठन ने उदाहरण पेश किया कि सरकार और संगठन कैसे एक-दूसरे की ताकत बन सकते हैं। बीजेपी के अंदर यह तालमेल 2029 की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है। इस पर भी मुख्यमंत्री नायब को पूरे अंक दिए गए हैं।
प्रशासनिक पकड़ पर और मजबूती की जरूरत
समीक्षा रिपोर्ट का सबसे गंभीर पहलू यही रहा कि प्रशासनिक पकड़ के मामले में सैनी को सिर्फ 47 प्रतिशत अंक मिले। रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि पिछले एक साल में हरियाणा में बड़े स्तर पर नौकरशाही फेरबदल नहीं हुआ। इस कारण कई विभाग पुराने ढर्रे पर ही चल रहे हैं। केंद्र की नायब को खुली छूट, अधिकारी अपनी पसंद के रखे और प्रशासन पर गुड गवर्नेंस के लिए बनाए दबाव।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशासन को काबू में करना एक लंबी प्रक्रिया है, और सैनी का शांत स्वभाव शायद सिस्टम पर दबाव बनाने के लिए पर्याप्त नहीं रहा। हालांकि, यह भी सही है कि पहले वर्ष में किसी भी नए मुख्यमंत्री को नौकरशाही अपने हिसाब से परखती है। अगर सैनी प्रशासनिक पकड़ को और मजबूती से हैंडल करें तो देश के सबसे सफल मुख्यमंत्रियों की श्रेणी में उनका स्थान अव्बल भी हो सकता है।
































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































