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शौर्य दिवस समारोह में मराठों के शौर्य और बलिदान को याद किया

करनाल, अभी अभी। अखिल भारतीय मराठा जागृति मंच पानीपत-करनाल की ओर से बसताड़ा गांव में शौर्य दिन समारोह का आयोजन किया गया। 14 जनवरी 1761 को हुए युद्ध में शहीद हुए अपने पूर्वजों को मराठा बिरादरी के लोगों ने श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष वीरेंद्र मराठा ने की। मुख्य अतिथि स्वामी संपूर्णानंद रहे। अति विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व विधायक रणधीर गोलन ने शिरकत की, जबकि विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री भारत सरकार प्रताप राव जाधव रहे। अतिथिगणों को स्मृति चिह्न व शॉल भेंट किए गए।
मुख्य अतिथि स्वामी संपूर्णानंद जी ने ध्वजारोहण कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि 14 जनवरी 1761 को इसी मैदान में जहां हम आज उपस्थित हैं एक भयंकर युद्ध हुआ। एक विदेशी आक्रांता अहमदशाह अब्दाली द्वारा भारत की अस्मिता को ललकारा गया। वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए उसका दृढ़ता से सामना किया। युद्ध में कई उतार चढ़ाव आए। इतिहासकार यह भी लिखते हैं कि चार बजे तक मराठा सेना विदेशी आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली की सेना पर भारी पड़ रही थी। इसके बाद विश्वास राव तथा सेनापति सदाशिव राव भाऊ के मारे जाने के बाद परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि युद्ध में भगदड़ मच गई और अहमदशाह अब्दाली की सेना का मनोबल बढ़ गया।

हजारों की संख्या में मराठा सैनिक वीर गति को प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में मराठों ने अदम्य साहस का ऐसा परिचय दिया कि इसके बाद किसी भी विदेशी आक्रांता का उत्तर की सीमा से आक्रमण करने का साहस नहीं हुआ। युद्ध को 264 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। उन योद्धाओं के वंशज होने के नाते प्रतिवर्ष इस दिन शौर्य दिन समारोह का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि जो समाज अपने पूर्वजों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों का स्मरण रखता है वह समाज निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। राष्ट्र की सेवा के लिए व राष्ट्र हित में बलिदान देने के लिए आप सभी आगे भी तैयार रहेंगे। मराठा वीरेंद्र वर्मा ने कहा कि जब इतिहासकारों के अनुसार ये सच्चाई सामने आ रही चुकी है कि इस युद्ध में मराठा सेना का मुख्य केंद्र यही बलिदानी भूमि थी तो यहां पर एक पर्यटन व भव्य स्मारक बनाने का प्रयास जरूर होना चाहिए। इस प्रयास के लिए अखिल भारतीय मराठा जागृति मंच इस भव्य स्मारक को बनाने के लिए हमेशा बसताड़ा के साथ खड़ा है। इस अवसर पर डा. वशंत राव केशव मोरे, पूर्व विधायक रणधीर गोलन, पूर्व सरपंच समर सिंह कुटेल, विशाल सरपंच कुटेल, सुरेश सरपंच बसताड़ा, राजेश कल्याण कुटेल, अजीत भौसले, डा. बसंत राव मौर्य व मीलिन पाटिल ने प्रमुख तौर पर अपने विचार रखे।

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