जो संपत्ति में साथ देता है, वह बंधु होता है, लेकिन जो विपत्ति में साथ देता है वह सुबंधु होता है : विजय कौशल महाराज

करनाल, अभी अभी। श्री हरि कथा प्रचार समिति व श्री श्याम परिवार की ओर से मंगलसेन सभागार अंबेडकर चौक में श्री राम कथा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। छठे दिन श्री रामायण की पूजा करने और व्यास पीठ को नमन करने के बाद कथा सुनाते हुए विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि राम के वन गमन के पश्चात अवध की दशा, महाराज दशरथ की मृत्यु तथा भरत के ननिहाल से लौटने के साथ भरत के चरित्र का दिग्दर्शन कराया। उन्होंने कहा कि राम, लक्ष्मण और सीता वन चले गए और वे चित्रकूट में निवास करने लगे। उधर सूना रथ लेकर जैसे ही सुमंत्र अयोध्या में लौटे तो पूरी अयोध्या में शोक छा गया। राजा दशरथ विलाप करने लगे और राम को पुकारते पुकारते मूर्छित होकर धरती पर गिर गए। जैसे ही उन्हें होश आया उन्हें अपने सामने एक वृद्ध दंपती लाठी लिए खड़ी दिखाई दी, जो श्रवण कुमार के माता-पिता थे। दशरथ को श्रवण कुमार के वध की पूरी घटना याद आई और उन्होंने कौशल्या को सारी घटना सुनाई। महाराज ने कहा कि मरते समय मनुष्य की स्मृति में उसके जीवन काल में किए हुए सारे पाप सामने आ जाते हैं। महाराजा दशरथ ने अनजाने में श्रवण कुमार का वध किया था जब अनजाने में किए गए पाप का फल इतना दुखदाई होता है कि दशरथ जैसे धर्म धुरंधर गुणानिधि ज्ञानी को इतना तड़पाता है तो जानबूझकर पाप करने वालों की अंत समय में क्या दशा होती होगी। राजा दशरथ को पूरा घटनाक्रम याद आ गया कि श्रवण कुमार की मौत के बाद जब वे जल का पात्र लेकर उसके बूढ़े माता-पिता के पास पहुंचे और उन्हें पुत्र के निधन की जानकारी मिली तो उन्होंने राजा दशरथ को श्राप दे दिया कि जिस तरह पुत्र के वियोग में हम तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। इसी तरह एक दिन तुम भी पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर प्राण त्याग दोगे और आज वही शाप फलीभूत होता नजर आ रहा है। चार-चार बेटे होते हुए भी मृत्यु के समय राजा दशरथ के पास एक भी पुत्र नहीं है। बंधु और सुबंधु में अंतर बताते हुए विजय कौशल महाराज ने कहा कि जो संपत्ति में साथ देता है, वह बंधु होता है लेकिन जो विपत्ति में साथ देता है वह सुबंधु होता है। उन्होंने कहा कि मरते समय मनुष्य का मन कहां अटका हुआ है उसी के आधार पर उसका जन्म होता है।
शबरी और राम संवाद का किया वर्णन
शबरी और राम संवाद को सुनकर पूरा सभागार मंत्र मुग्ध हो गया। विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि राम ने शबरी के जूठे बेर खाकर भक्त और भगवान के बीच प्रेम की पराकाष्ठा को जाहिर किया। ऊंच नीच की भावना को मिटाया। शबरी ने मर्यादा का पालन कर संत मिलन का इंतजार किया और भगवान पर भरोसा रखा। राम ने चरणों में स्थान दिया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर अध्यक्ष कैलाश चंद गुप्ता, प्रधान शशि भूषण गुप्ता, कार्यकारी अध्यक्ष घनश्याम गोयल व पंकज गोयल, उपप्रधान अमन बंसल, महासचिव सुनील गुप्ता, सचिव पुनीत मित्तल, कोषाध्यक्ष सुभाष गुप्ता, पदम सैन गुप्ता, नवदीप मित्तल, डॉ एस.के. गोयल, रामकुमार गुप्ता, सत्यपाल बंसल, सुशील जैन, राजेश (लवली), गगनदीप, विजय सिंगल, आशीष गुप्ता, सुनील, आशीष, अजय, मुनीश, सचिन, विवेक व हरिप्रकाश आदि मौजूद रहे।